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श्रीमद् भगवत गीता
10अनमोल वचन
Krishna Motivational speech 

क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो, किससे व्यर्थ डरते हो, कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा  न पैदा होती है, न मरती है।

खाली हाथ आए और खाली हाथ ही चले। जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा तुम इसे अपना समझ मगन हो रहे हो यही प्रसन्नता तुम्हारे दुखों का कारण है

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जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वह भी अच्छा ही होगा, तुम भूत का पश्चाताप न करों, भविष्य की चिंता न करों, वर्तमान चल रहा है।

न यह शरीर तुम्हारा हैं न तुम शरीर के हो, यह अग्नि, जल, पृथ्वी, वायु, आकाश से बना है और इसी में मिल जायेगा, परंतु आत्मा स्थिर है-फिर तुम क्या हो

तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हों? तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया। जो लिया यही से लिया, जो दिया यही पर दिया।

तुम अपने आपकों भगवान को अर्पित करों। यही सबसे उत्तम सहारा है। जो इसके सहारे को जानता है वह, भय, चिंता, शोक से सर्वदा मुक्त रहता है। 

जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान को अर्पण करता चल। ऐसा करने से सदा जीवन मुक्त का आनंद अनुभव करेगा।

गीता में लिखा है, निराश मत होना कमजोर तेरा वक्त है, तू नही.....

क्रोध से भ्रम पैदा होता है और भ्रम से बुद्धि का विनाश होता है वहीं जब बुद्धि काम नही करती है तब तर्क नष्ट हो जाता है और व्यक्ति का नाश हो जाता है।